
खुर्जा के आयकर अधिवक्ता जय किशन ‘जय’ द्वारा रचित पुस्तक ‘बात-बातों बातों में’ अपने अनूठे विषय और रचनात्मक शैली के चलते चर्चा में रही है। इस काव्य संग्रह में कवि ने जीवन की गूढ़ सच्चाइयों को ‘बात’ शब्द के परिप्रेक्ष्य में मुक्तक छंदों द्वारा उजागर किया है। पुस्तक को कपिलश प्रकाशन से प्रकाशित किया गया है तथा इसमें 200 से अधिक स्वतंत्र मुक्तक (कविताएँ) संकलित हैं। इसे 8 फरवरी 2025 को वाराणसी की गंगा नदी पर नाव से विशेष समारोह में विमोचित किया गया, और इसी मौलिक प्रयास को विश्व कीर्तिमान पुस्तक में दर्ज किया गया है। इन उपलब्धियों के अवसर पर खुर्जा के महाराजा अग्रसैन पब्लिक स्कूल में एक सम्मान समारोह आयोजित किया गया, जिसमें विधायक मीनाक्षी सिंह मुख्य अतिथि थीं।
पुस्तक की विशेषताएँ
विशेषता | विवरण |
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शीर्षक | ‘बात-बातों बातों में’ |
रचनाधारा | हिंदी मुक्तक कविता (प्रत्येक छंद पूर्णत: स्वतंत्र) |
कविताओं की संख्या | 200 से अधिक |
मुख्य शब्द | ‘बात’ |
प्रकाशक | कपिलाश प्रकाशन |
विमोचन स्थान/तिथि | 8 फरवरी 2025, वाराणसी (गंगा नदी में नाव पर) |
विश्व कीर्तिमान | दर्ज (‘द बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’) |
ऊपर दी गई सारणी से स्पष्ट है कि पुस्तक का विषय केवल एक शब्द ‘बात’ है और रचनाधारा मुक्तक (स्वतंत्र छंद) है। प्रत्येक मुक्तक अपने आप में संपूर्ण कथ्य रखता है और कोई कथानक पर निर्भर नहीं होता।
साहित्यिक नवीनता
‘बात’ शब्द पर आधारित यह पहल हिंदी काव्य जगत में नई दृष्टि प्रस्तुत करती है। कपिलाश फाउंडेशन की संचालिका शिप्रा के अनुसार ‘बात’ विषय पर केंद्रित यह पहला काव्य संग्रह है। जय किशन ने अपनी पंक्तियों में जीवन के कालक्रम को ‘बात’ से जोड़ते हुए लिखा है कि “गुज़रे कल की बात ही इतिहास है, आज की बात वर्तमान है और आने वाले कल की बात ही भविष्य है”। मुक्तक छंद की यह पारंपरिक शैली कबीर और रहीम के दोहों जैसी गहनता एवं स्वतंत्रता लिए रहती है। सरल भाषा और प्रभावी छंदबद्धता के जरिये शब्द ‘बात’ के विविध अर्थान्वेषण ने पुस्तक को साहित्यिक रूप से अभिनव बना दिया है।
शैक्षिक उपयोगिता
प्रबंधन एवं संचार अध्ययन के क्षेत्र में भी इस संग्रह का विशेष महत्व है। चूँकि प्रबंधन में संवाद कौशल अत्यंत आवश्यक है, एक ही शब्द के विभिन्न रूपार्थ इस संदर्भ को गहराई से समझने में सहायक हैं। ‘बात-बातों बातों में’ छात्रों को संचार विज्ञान (कम्युनिकेशन स्टडीज) एवं अर्थ-विज्ञान (सेमांटिक्स) के बुनियादी तत्वों को रोचक रूप में समझने का अवसर प्रदान करती है। शब्द ‘बात’ के माध्यम से अर्थ तय करने, संवाद बहस करने और भाषाई जटिलताओं को सुलझाने की यह विधि प्रबंधन शिक्षा में संवाद-कौशल एवं आलोचनात्मक चिंतन के लिए उपयुक्त शिक्षण सामग्री है।
Sahitya Today की टिप्पणी
‘बात-बातों बातों में’ हिंदी कविता में भाषा के प्रयोग और रचनात्मकता की नई मिसाल है। सरल शब्द ‘बात’ में छिपी अनंत संभावनाओं को मुक्तकों के माध्यम से प्रकट कर जय किशन ‘जय’ ने दिखाया है कि एकमात्र शब्द की सीमितता में भी गहन अर्थवत्ता हो सकती है। यह संग्रह न केवल साहित्यिक नवाचार का प्रतीक है, बल्कि पाठकों और शिक्षकों को भी भाषा की विविधता और संवाद-कला पर गहन विचार करने की प्रेरणा देता है। अंततः, ‘बात-बातों बातों में’ का विश्व कीर्तिमान में सम्मिलन हिंदी साहित्य में रचनात्मकता के नए आयाम स्थापित करता है और भविष्य के साहित्यिक प्रयोगों के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
स्रोत: लाइव हिंदुस्तान, बुलंदशहर संस्करणlivehindustan.comlivehindustan.com; विकिपीडिया: ‘मुक्तक’hi.wikipedia.orghi.wikipedia.org।